जिंदगी की कस्मकस ने हमे क्या से क्या बना दिया
कभी भीड़ में भी तनहा बना दिया
और कभी तन्हाई में भी हसना सिखा दिया
कभी भीड़ में भी तनहा बना दिया
और कभी तन्हाई में भी हसना सिखा दिया
जिंदगी की कस्मकस भी देखो कैसी है
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कभी सुधरना तो कभी टूट कर भिखरना सिखा दिया
अजीब है जिंदगी भी ,कभी सहमी- सहमी सांसों ने
खुशियों के पलों को ढूंढ लिया
तो कभी हसती हुयी आँखों को भी रोना सिखा दिया
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सब कुछ बदल सा गया है इस कस्मकस जिंदगी में
यंहा साँसों पर भी हक हवाऔं का हो गया है
इतने बड़े -बड़े हौसलों में ख्वाइसें सहम सी गयी हैं
कभी खुशियों का दौर, तो कभी आशुयों की धार है
हर तरफ हर जगह बस तकरार ही तकरार है
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इस कस्मकस जिंदगी में मुसाफिरों की कमी नहीं
निभा रहे सभी रिश्ते ,पर फिर भी रिश्तों में नमी नहीं
ऐसी क्या कमी थी जिंदगी में जो अब भी मुरझाई सी है
मन की उमंगों में एक धुंधली परछाई सी है
ऐसा लग रहा मानो अब भी जिंदगी बिखरी सी है
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हर किसी की जिंदगी खुदगर्ज़ सी हो गयी है
शायद इसीलिए सबकी खुशियों में कमी सी है
और कुछ ऐसे ही कल आँखों में नमी सी थी