सब कुछ अपना नहीं होता



सब कुछ अपना नहीं होता 
 हर दिन -दिन नहीं होता
हर रात रात नहीं होती
अगर चाँद में होती वफ़ा
तो ये शामें यूँ उदास न होती

     


हर पल -पल नहीं होता
हर बीता हुआ कल- कल नहीं होता 
हर लम्हा अपना नहीं होता 
अगर वक़्त देता साथ तो फिर क्या थी बात

     

हर लम्हा यूँ ही गुज़ारा न होता
 अगर प्यार का साया न होता
 जिंदगी के कितने सपने बुनते हम 
अगर साथ चलते हम

     

पर मंजिल हमेशा अपनी नहीं होती 
अगर भटको जो रास्ते पर 
तो ये राहे भी हैं साथ छोड़ देती 
साथ चल रहे हैं हम वो भटक गये रास्ता 

     


हम बैठे हैं इंतजार में
 ओ तय कर लिए दूसरा रास्ता 
अगर आगे जाते तो कोई और था
पीछे जाते तो कोई और था

     


हम भी मजबूर थे वो भी मगरूर थे 
हम वही के वही रह गये वो सफर तय कर  गये 
क्या करता ये नादाने दिल ये भी मजबूर था
वो मशरूफ थे ,हम भी क्या गिला करते 

     


हम भी  थोडा नादान थे वो परेशान   से थे 
वो सफर तय कर गये हम वही के वही रह गये 
बड़े सपने थे बड़े ख्वाब थे 
उनको लेकर हम भी लाजवाब थे 

     


कभी हसती तो कभी रोती 
उनकी यादों को यूँ ही संजोती थी 
कुछ यूँ ही मेरे सपने लाजबाब थे 
जब दूर हुए अपने तो पता चला
 वो टूटे हुए ख्वाब थे



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