चाभी ही गुम गयी थी




चाभी ही गुम गयी थी 


कुछ इस तरह वो हम पर सितम कर गये 
हम तो गुम थे ख्वाबों में 
वो किसी और का इंतजार कर रहे थे 
मोहब्बत बहुत थी दिल में उनके
 लेकिन मेरे लिए नहीं किसी और के लिए 


और हम नादान और  उनको ही जिन्दगी बना लिए 
बहुत उदास सी हो गयी थी जिंदगी 
लेकिन क्या करती मेरी तो चाभी ही गुम हो गयी थी 


किसी तिजोरी में बंद थी हमारी यादों की पर्चियां 
और मै बुद्धू तिजोरी को खोलने की कोशिस में लगी थी 
लेकिन कम्बक्कत चाभी तो उनके पास ही रह गयी थी 


जब कोई हमे देखता गुस्सा करता हम पर चिल्लाता 
लेकिन भला  ये किसी दुसरे को समझ कैसे आता 
की मेरी तो दिल की चाभी ही गुम हो गयी है


हर पल रुआशा सा मन भी उदास रहता था 
कोई पडोस की लड़की भी आ जाये तो झट से कमरे में चली जाये 
कुछ भी अच्छा नही लगता था सब कुछ रुखा -रुखा सा लग रहा था 


फिर अचानक एक दिन उनका पैगाम आया 
और उसमे खेद प्रकट करते हुए लिखा था
 की मै भी आपसे मोहब्बत करता हूँ
फिर क्या था उसका तो दिल ही खुश हो गया था 


वो इतनी खुश थी मनो उसको एक नयी जिंदगी मिल गयी हो 
 अब वो इतनी खुश थी की आखिरकार उसकी
 जो सालों पहले चाभी गुम हो गयी थी


मानो आज उसके हमसफ़र ने वही चाभी उसको  लौटा दी हो 
और जो अब तक बंद ताले थे अब सारे  के सारे 
सोर मचा कर मनो खिलखिला उठे थे


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