मेरा बचपन





मेरा बचपन 

आज मौसम कितना सुहाना है 
हर दिल बेचैन और दीवाना है 
हर तरफ काले -काले बादलों से घिरा मौसम है 



बारिश की बुँदे कुछ ऐसे गिर रही हैं 
मानो झरने बह रहे हों 
धीरे- धीरे बारिश की बुँदे जमी पर गिर रही हैं 


हौले -हौले बारिश दिल को छू रही है 
हर मन बहका- बहका सा है 
हर तरफ मस्तियाँ हैं 



हर तरफ नादानियाँ हैं
गुम-शुम सा मन गीतों के सुरों से झूम रहा है 
मानो परलोक में कोई नाच रहा है 



एक अजीब सी मुस्कान सबके चहरे पर दिख रही है 
धीरे -धीरे सबके चहरे खिल उठे हैं 
ऐसा लगता है की जादू सा हो गया है 



हौले -हौले से ओले भी गिरना शुरू हो गये हैं 
बच्चे चीख -चीख कर  उसे बटोर रहें हैं 
बड़ा अच्छा लगता है बच्चों की ये ख़ुशी देखकर 


मन करता है काश लौट आये मेरा बचपन 
काश एक बार फिर से मै खेल सकू 
वो सुहाने परियों के किस्सों के संग


वो होली के रंग और वो अपनापन 
काश एक बार फिर से लौट
 आये मेरा प्यारा बचपन