मायका और ससुराल

लड़के की शादी होती है और शादी सम्पन होने के बाद बिदाई का समय आ जाता है और लड़की के घर वाले लड़की के पास एक- एक करके उसके कमरे को जाते हैं और समझाते हैं सबसे पहले माँ जाती है और कहती है अपनी बेटी से की बेटी कल से जल्दी उठाना और सबसे पहले उठकर नहा धो लेना फिर पूजा पाठ करके रसोई घर का सारा काम अबसे तुझे ही संभालना है 



देखना कोई गलती न करना वंहा तेरी माँ नहीं होगी समझाने के लिए सरे काम ध्यान से करना पति को दप्तर से आने के बाद पानी फिर कुच्छ देर बाद खाना और फिर वो जो भी बोले कर देना सासू माँ की सेवा करना और घर के सभी लोगों का ध्यान रखना.

फिर कुछ देर बाद पापा आते हैं और कहते हैं बेटी अब अपने ससुराल को ही अपना घर समझना और सबका ख्याल रखना अपने माँ -बाप के मान सम्मान को मिटने न देना बेटी और इतना कहकर पिता की आँखों में आशू आ जाते हैं और वो वंहा से बहर निकल जाते हैं फिर भाई आता है .


आँखे आशुयों से भरी होती हैं और चहरे पर मुस्कान के साथ बोलता है लगता है तू अब ससुराल चली ही जाएगी जा रही है तू सच में जा रही ससुराल चलो अब तुमसे छुटकारा मिल जायेगा अब तेरा सारा हिस्सा मेरा हो जायेगा और अब कोई बात - बात पर टोका -टोकी भी नहीं करेगा और न ही कोई माँ से मेरी सिकायत करेगा चलो बढ़िया है आज से तू परेशान नहीं करेगी हमको 
इतने में लड़की की भी आँखों में आंशू आ जाते है.


 और बोलती है भाग जा पागल नहीं तो मार खायेगा अब तू और फिर भाई बोलता है अच्छा मेरी तरह ससुराल में किसी को पीटने न लगना वंहा तेरी कोई मार नहीं खायेगा जैसे हमें बोल देती है कुछ भी वंहा मत बोलना कोई बुरा मान सकता है और फिर दोनों रोते हुए एक दुसरे को गले लगा लेते हैं और साथ में दोनों के मुह से निकलता है तेरी बहुत याद आएगी अपना ख्याल रखना और भाई आंशु पोछते हुए बाहर निकल जाता है और इसी तरह परिवार के सभी लोग आकर समझाते हैं. 


अब सबके जाने के बाद बिदाई होने का समय आ जाता है और लड़की सोचती है एक तो अपना घर छोड़कर मै जा रही हूं ऊपर से इतना कुछ घर वालों ने बता दिया इसके पहले तो कभी कुछ ऐसा नहीं करना पड़ा कैसे इतना कुछ संभाल पाऊँगी यही सब सोचती रहती है तमाम तरह के मन में ख्याल आते हैं और फिर बिदाई करके घर वाले लड़की को बिदा कर देते हैं यंहा तो माँ -बाप को इतनी फ़िक्र होती है इतना कुछ कैसे संभालेगी मेरी बेटी हमेशा से खुले ख्यालातों वाली मेरी बेटी  अब किसी की पत्नी और कीसी की बहू की के जेठानी किसी की भाभी बन गयी है. 


देखो क्या होता है अब ससुराल में जाकर लड़की अलारम लगाती है और दूसरे दिन सुबह उठकर जैसा की उसकी माँ ने बताया होता है वैसा ही करती है और फिर सबके लिए खाना बनाती है और कहते हैं ससुराल में पहली रसोई बहू कुछ मीठा बनाकर शुरू करती है तो उसने सबके लिए खीर बनाई और खीर में चीनी कम रह गयी बाकी खीर बहुत अच्छी बनी थी अब बनाने के बाद खीर सबके लिए निकलती हैं और सब तो खा लेते हैं कुछ नहीं बोलते हैं फिर सास जाकर बेटा और पति बैठा होता है तो जाकर बोलती लग रहा घर वालों ने कुछ सिखाया नहीं है चीनी देखो कैसे डाली थी लग रहा था खीर नहीं चावल खा रहे हों. 


और सबसे आखिरी में बहू को खाने का रिवाज होता है पहले तो चख कर देख भी नहीं सकती अब वो खाकर देखती है तो सोचती है चीनी तो कितनी कम डाली है देखो मै सोच ही रही थी कोई गड़बड़ न हो जाये और हो ही गयी लेकिन कितने अच्छे हैं सभी लोग हमसे कुछ कहे भी नहीं फिर सोचती है चलो दुसरे दिन कोई गड़बड़ नहीं होने देंगे लड़की की माँ- बाप का फ़ोन आता है और पूछते हैं बेटी सब अछे से कर लिया कोई गड़बड़ तो नहीं की 
और वो बोलती है इतना सोचे थे फिर भी  खीर में चीनी बहुत कम रह गयी थी लेकिन आप लोग परेशान न हों कल से कोई गड़बड़ नहीं होगी.


 यंहा के लोग बहुत अच्छे हैं किसी ने कुछ नहीं बोला और फिर रात में पति आता है रूम में और बोलता है कैसी खीर बनाई थी मम्मी क्या सोच रही होंगी कितनी फीकी थी कल से ध्यान देकर बनाना इसी तरह वो लड्सकी घर के सभी काम- काज सीख जाती है कल को सारा दिन मस्ती करने वाली लड़की अब एक पत्नी और बहू और भाभी बन जाती है कुछ दिनों बाद उसके घर वाले आते हैं और उसको देखते हैं .


इतना ज्यादा अंतर पहले और अब में कंही कोई बुला रहा है भाभी मेरा ये सामान कंहा रक्खा है और पति बोलता है अरे नास्ता लग गया दफ्तर के लिए लेट हो रहा सासू माँ बोलती है बहू जल्दी से टेबल साफ़ करके सबका नास्ता लगाओ माँ -पापा आये हैं ध्यान नहीं दे रही और तुम्हारे ससुर जी को भी निकलना  है वो जल्दी जल्दी सरे काम करती है और सबको नास्ता करवा कर सारा घर साफ़ करती है बर्तन धुलती है फिर खाना बनाती है ऐसे ही पुअर दिन उसका घर के काम काज में जाता है और कोई जरा सा भी सरहना नहीं करता ये सब देख माँ-बाप के आँखों में आंशू आ जाते हैं और फिर जब वो सारे काम कर लेती है तो माँ -बाप के पास बैठती हैं
 और तब माँ-बाप बोलते हैं की बेटा कोई दुःख तो नहीं है तुम्हे तो वो अपने आशू छुपाते हुए नहीं माँ कोई दुःख नहीं है 


 बस आप सब की  नहुत याद आती हैं और माँ छोटू कैसा है वो अब आप लोगों को ज्यादा परेशान तो नहीं करता है ऐसा कहते हुए बात को काट देती है और बोली यंहा सब बहुत अच्छे हैं मेरा बहुत ख्याल रखते हैं ऐसा बोल दी ताकि उसके माँ- बाप परेशान न हों और माँ -बाप कहते है बेटी ऐसे ही खुश रहे तू और अपना ख्याल रखना अच्छा अब हमलोग चलते हैं जब माँ -बाप चले जाते हैं तब जाकर कमरे में छुपकर बहुत रोती हैं और खुद से ही बाते करती है की क्या बतायू माँ मेरी तो पूरी जिन्दगी ही बदल गयी है कभी खुद के लिए समय नहीं निकाल पाती सारा दिन ऐसे ही निकल जाता है और फिर सास आती है और बेटे से कहती है माँ-बाप आये थे पता नहीं क्या पट्टी पढ़ा कर गए होंगे


 अब बताओ दोस्तों ऐसा बहुत लोगों के साथ होता है अगर ऐसा होता रहा तो ससुराल और मायके में हमेशा अंतर होता रहेगा जब तक की आप दुसरे के घर से आई बेटी को अपनी बेटी नहीं  समझेंगे ऐसा करने से ही रिश्ते बिगड़ते हैं साड़ी बेटियां  ऐसी नहीं होती हैं और तभी रिश्ते बिगड़ते हैं अब वो काम कर रही है तो सभी को करवा लेना चाहिए क्युकी वो आपकी मजदूर बनकर तो आई नहीं है आपकी घर की बहू है जो आपके लिए सर कुछ छोड़कर आई है अब आप लोग ऐसे करेंगे तो सास -ससुर और माँ -बाप ससुराल मायके में हमेशा ऐसे ही फर्क होता रहेगा हम बदलेंगे तभी युग बदलेगा इसीलिए पहले हमें अपने आप को बदलना है .