क्या दिन है क्या
रात है मालूम नहीं?
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बस जिन्दगी के
सफ़र में दौड़ते जा रहे हैं
क्या मंजिल है क्या
रास्ता है मालूम नहीं ?
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यूं तो खिलौने मिल ही जाते हैं
दिल बहलाने के लिए
लेकिन कौन सस्ता और
टिकाऊ है मालूम नहीं ?
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हम अपनों से झूठ बोलते हैं
फरेब करते हैं
क्यू अपनी ख़ुशी के लिए लेकिन
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क्या ख़ुशी है क्या
गम है मालूम नहीं ??
हम अपने अपनों से
झगडा करते हैं
लड़ाई करते हैं क्यू क्युकी
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अपनों का प्यार पाने के लिए
लेकिन क्या प्यार है क्या
नफरत है मालूम नहीं ?
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हम अपनों को धोखा देते हैं
किसी का प्यार पाने के लिए
और बहुतों का दिल भी दूखाते हैं
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लेकिन कौन अपना है
कौन पराया मालूम नहीं ?
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यूँ तो हम हर एक पर
भरोशा भी कर लेते हैं
और उसके बताये रास्ते
पर चल भी लेते हैं
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लेकिन कब इंसान अपनी
फिदरत बदल ले मालूम नहीं ?
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यूँ तो हर कदम पर
मिल रहा है यंहा धोखा लेकिन
अपना कहकर कब कोई
अपना बना ले मालूम नहीं ?
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यूँ तो अभी तक सिर्फ
काटें ही चुनती आई हूँ
मै अपनी जिंदगी में लेकिन
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कब कौन सा काटा
मुझे चुभ जाये मालूम नहीं?
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बहुत अजीब सा है
ये जिंदगी का सफ़र भी
कौन सा यात्री कंहा
उतरेगा मालूम नहीं ?
उतरेगा मालूम नहीं ?
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बड़ी टेढ़ी मेढ़ी हैं
ये जिन्दगी की गलियां भी
कब कौन सा मोड़ ले लें मालूम नहीं?
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यूँ तो हम जिन्दगी से
बड़े- बड़े वादे करते हैं लेकिन
कौन सा निभा पाते हैं मालूम नहीं ?
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जिन्दगी के मेले में
यूँ तो बहुत लोग साथ हैं
लेकिन हम कितने तनहा और
अकेले हैं मालूम नहीं?
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यूँ तो हम अपना हर एक काम
वक़्त पर करने की
कोशिस में लगे रहते हैं
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लेकिन जिन्दगी कब अपना
वक़्त बदल ले मालूम नहीं
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लेकिन जिन्दगी कब अपना
वक़्त बदल ले मालूम नहीं
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यूँ तो जिन्दगी तजुर्बे
देती ही रहती है लेकिन
उन तजुर्बों से हम कितना
सीखते हैं मालूम नहीं ??