आज काली घटायो का पहरा
फिर से हम पर लहराया है
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बरसों जो छूट गया था पीछे
आज फिर सामने आया है
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वक़्त ने भी देखो कैसा करिश्मा दिखाया है
कल जो छूट रहा रहा पीछे
आज उसी से मिलवाया है
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कितने गम थे हमारी जिंदगी में
मैंने हस के गुज़ार दिए
इसी के चलते मैंने कितने रिश्ते उजाड़ दिए
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कभी बारिश होती है तो
कभी तेज धूप निकलती है
हमारी जिंदगी भी तो
कुछ इसी तरह निखरती है
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ये जिंदगी है साहब यंहा खून भी होते हैं
और शहनाई भी बजती हैं
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कुछ बातें दिल को चुभती हैं
तो कुछ बाते दिल छू जाती हैं
ये दोनों घडी कुछ वक़्त में गुजर जाती हैं
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बहुत कोशिस की लेकिन
प्यार करना नही आया
बेकरार थे हम लेकिन
इजहार करना नहीं आया
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वक़्त भी हर वक़्त सबका कंहा होता है
बहुत कोसिस की पर