मुकम्मल हैवानियत (sad poetry in hindi )

 

हैवानियत का झलसा#hindi poerty & sad  emotions|

 

तरीख कोई पच्चीस थी 
हम भी रंजिस में थे 
जो उठ रही थी उँगलियाँ 
उस पर कोई खून है ,

 😔😔😔😔

 

जब उठ रही थी उँगलियाँ 
तो ये उंगली भी थी वंहा  
अब क्यों पड़ी है खून में 
जिस्म इसका है कंहा 
मर गया की था ही ना ..?

|sad line  |

😕😕😕😕😕 

 

कौन थे वो लोग जिनके
 मुँह में थी गलियां 
कोई अफसर था क्या ..?
या न्याधीश आये थे क्या ..?
कौन किया था वकालत 
फैसला किसने दिया ..?
या कोई धरमात्मा था 
धर्म का उद्देश्य क्या था ...!

|sad emotions |

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न पुलिश न कोई अवतार 
रक्षक हूँ खुद की एक मै एकलौती तलवार 
मेरे सीधे प्रश्न हैं सीधे उत्तर दो मुझे 
जो घायल हैं मन से वो लोग आखिर कौन थे ..?

|| atitude quotes||

💔💃💃💃💃

 

मै तो एक लड़की हूँ साहेब मै हूँ क्यूँ बीच में 
मै बचाने भी गयी थी तीन पड़ गए खीच कर 
मोटर साइकिल लाये थे रोड पर कर दी खड़ी...!!

|sad emotions by a girl |

😴😴😴😴



गाली देकर नाम पूछा जाने उसकी क्या पड़ी 
एक ने तो लड़की की चुनरी गले से खीच ली 
आखिरी था वार जिसका उनका वो सरदार था 
हक नही था उनका ये वो बहुत गद्दार था 

😧😧😧😧😧😥

 

लडकियों की सोच पर 
 ऐसे लड़कों को न रक्खो जो जूतियों की नोक पर 
सर पर ये चढ़ जायेंगे ,कई गुना ये बढ़ जाएंगें 
हुक्मरा होगा इन्ही का आग मूतेंगें सभी
पैर के नीचे कुचल दो जीत होगी धर्म की |

|positive  atitude by girls|

😑😑😒


 

हम तो खुद डर गए थे साहेब खौफ उनको था नही 
किस नसल के लोग थे वो समझ कुछ आया नही 
न कोई इंसान उसमे न ही कोई आदमी 
कुछ ही देर में शेर बन गए गिद्दों की भीड़ थी 
नोच खाने की तलब थी जानवर जमीर थी...!!

|sad lines|

😓😓😓


 
ये कोई बार नही है वास्तविक कानून है 
हमसे क्यूँ पूछते हो क्या यंहा घटना घटी 
जुर्म इसने क्या किया था ,इज्जत इसकी क्यूँ लुटी ..?
मैंने सोचा मर चुकी है लड़की में पर जान थी 
उसकी इज्जत क्यूँ लुटी जो देश का सम्मान थी ...!

👧👧👧👩

 

वो बोली अब क्या चाहिए इज्जत थी दे तो दिया 
जी रहे थे कैद में मौत दे दी सुक्रिया 
मन में उलझन बहुत है थम से गए हैं हम भी 
आप ही तो हो अदालत आप ही कानून भी |

 ✊✊✊✊


अरे आपसे कैसी सिकायत आप तो हैं नींद में 
आप जैसे सौ खड़े थे जाहिलों की भीड़ में 
सौ में से अगर एक भी अगर दे दे गवाही आपको  
मै भी ख़ुशी से मान लूगीं भीड़ के इंसाफ को....2

😔😔😔😔😔😔

 


कीजिये इसपर बहेश अब घरों  में दुबक कर 
कंहा हैं लड़के तुम्हारे, है कंहा इंशानियत ..!
सब बराबर हैं अगर तो उसे ही क्यूँ चुना...?

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तुम बताओ कौन देगा इनको कोई गलियां 
असलियत से बेखबर हो शहरी हो दिल्ली से हो 
एक हिदायत दे रही हूँ सोचकर बोला करो 
तुम सवालों से भरे हो क्या तुम्हे मालूम है ..?

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लोगों से कुछ पूछना भी जान लेवा जुर्म है 
तशरीफ़ रखने आये हो खुलकर कर लो शौख से 
फर्क पड़ता ही कंहा है एक दो की मौत से 
चार दिन चर्चा उठेगी दुःख भी कुछ जताएंगे 
पाचवे दिन भूलकर सब काम पर लग जायेंगें ...!!

😕😕😕😕😕 

|very sad emotions|


 

काम से ही काम रखना हाँ मगर ये याद रखना 
कोई पूछे कौन थी बस तुम्हे इतना है कहना 
इनसे से ही थी कोई ,फिर भी कोई जिद पकड़ ले 
क्या हुआ किसने किया ,सोच कर उंगली उठाना 
धर्म न कोई जात उनकी भीड़ थे कुछ लोग थे.

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