inspirational poetry |emotions |feelings |success|
अपना एक भी आंशू न कर बेकार
हर बहते आंशू से कर प्यार
न जाने कब किसी की जरुरत बन जाए ..
कहते हैं प्यासे के पास पानी का ,
घड़ा चलकर आता नहीं
ये कहावत है अमृतवाणी तो नहीं ..?
जिसके पास देने को न कुछ भी
जिसके पास न देने के लिए यंहा कुछ भी नहीं
एक भी यंहा प्राणी नहीं ,
एक भी ऐसा यंहा प्राणी नहीं ..
बन स्वयं अपने हर एक गीत का श्रंगार ,
जाने उस चमत्कारी को कौन सा भा जाये
अपना एक भी आंशू न कर बेकार
न जाने कब किसी की जरुरत बन जाये ..
ठोकर खाकर टूट जाते हैं कांच अक्सर ,
किन्तु आकृतियाँ कभी टूटी नहीं
आदमी से छूट जाता है सभी कुछ,
किन्तु सम्मास्यायें और परेशानियाँ कभी छूटी नहीं ..
हर बहते आंशू से कर प्यार
जाने तेरे मन को कौन सा नहला जाये
एक भी आंशू न कर बेकार जाने
कब किसी की किसी की जरुरत बन जाए...
ब्यर्थ है करना खुशामत मंजिलों की
काम अपने अपना परिश्रम ही आये
वो न किसी के भी उठाए उठेगा
जो स्वयं अपनी ही नज़रों में गिर जाये ...
हर उमड़ती लहर का प्रणय कर स्वविकार
जाने कौन सी साहिल बन जाये
जाने कौन किनारे तक ले आये
एक भी आंशू न कर बेकार न जाने
कौन सा किसी की जरुरत बन जाये ...!
दूसरे की बातों से न हो निराश
एक बार कर तो सही अपना सफ़र इख्तियार
खुद ही खुद से कर प्यार,
न जाने कब खुद का मूल्य पता चल जाये
न जाने कब खुद का मूल्य पता चल जाये ...!!
एक भी आंशू न कर बेकार न जाने
कब तेरे मन को नहला जाये
न जाने कब कोई लेने आ जाये ...!
ऐसे मुशाफिरों का मंजिले भी इंतजार करती हैं
जीनके सफ़र में ही मैफिलें सजती हैं
सभी यंहा पर मंजिल की ख्वाइस रखता हैं
किन्तु रास्ते भी तो इख्त्यार मांगते हैं
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